Chandrayaan-3 mission 14 जुलाई को ऐतिहासिक दिन होने जा रहा है जिसका इंतजार पूरे विश्व को है | भारत अपने मिशन चंद्रयान 3 को 14 जुलाई को लॉन्च करेगा|
इसके तहत सारे इंतजाम कर लिए गए हैं भारत एक बार फिर एक नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है 14 जुलाई को लगभग 2:00 बज कर 30 मिनट पर Chandrayaan-3 मिशन लॉन्च होगा |
आपको बताते चलें किChandrayaan-3 mission 2019 के chandrayaan-2 मिशन का रीस्टार्ट मिशन है|4 साल पहले chandrayaan-2 इसरो का एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट था जो कि क्रैश लैंड हो गया
14 जुलाई को Chandrayaan-3 पृथ्वी से चंद्रमा के लिए उड़ान भरेगा और चंद्रयान से दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा और इसमें कुल समय 40 से 50 दिन का लगेगा Chandrayaan-3 को श्रीहरिकोटा सतीश धवन सेंटर से लांच किया जाएगा Chandrayaan-3 के रॉकेट सेक्शन में एलियन 3 लांचर जोड़ा गया है|
चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्य
Chandrayaan-3 mission का मेन लक्ष्य चंद्रमा की संरचना के बारे में पता करनाऔर भौगोलिक विशेषताओं के बारे में जानना और वहां पर वैज्ञानिक रिसर्च करना है | यह हमें अंतरिक्ष और सौर मंडल की समझ में मदद करेगा और हमारी अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में पहचान बनाएगा।
सुरक्षित रोवर लैंडिंग
Chandrayaan-3 moonके दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा और चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी इकट्ठा करेगा | यह मिशन भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में हुई प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक प्रगति का प्रतिनिधित्व करता है। हम इस मिशन के माध्यम से चंद्रमा के बारे में नई जानकारी प्राप्त करेंगे और भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में अग्रणी देश बनाएंगे।
दुनिया के सभी वैज्ञानिकों की सहभागिता
अमेरिकी एजेंसी नासा के अनुसार चंद्रमा बहुत सारी चुनौतियों से जुड़ा हुआ है बहुत सारे लैंडिंग को आसान बनाने के लिए और मिशन की उत्पादकता उत्पादकता को बढ़ाने के लिए चंद्रमा का तकनीकी और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक अलग योगदान है |
नासा का मानना है कि अगर भारत सक्सेसफुल chandrayaan-3 की लैंडिंग करता है तो चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अनगिनत रहस्य से पर्दा उठेगा और हमें चंद्रमा के भूवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिलेगी |
Chandrayaan-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा और चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के तापीय चालकता(thermal conductivity) और Regolith property के बारे में जांच करेगा जिससे हमें चंद्रमा के पर्यावरण के बारे में जानने में मदद मिलेगी
अमेरिका का Artemis-III और Chandrayaan-3 में समानता
Chandrayaan-3 mission का मिशन लगभग अमेरिका के मिशन Artemis-III (आर्टेमिस-III )के मिशन के समान है क्योंकि अमेरिका का लक्ष्य है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मनुष्यों की लैंडिंग करना Chandrayaan-3 का मिशन लगभग अमेरिका के मिशन आर्टेमिस-II के मिशन के समान है |क्योंकि अगर भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंडिंग करता है तो अमेरिका को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को समझने में बहुत मदद मिलेगी और कहीं ना कहीं भारत की सफलता में अमेरिका की भी सफलता छुपी हुई है
निष्कर्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का एक मिशन, चंद्रयान-3, देश की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय शुरू करता है। 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण सफलतापूर्वक हुआ था। यह मिशन चंद्रमा की सतह पर सॉफ़्ट लैंडिंग करने की कोशिश करेगा और इसके बारे में अधिक जानकारी हासिल करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का तीसरा Chandrayaan-3 mission है। चंद्रमा के दोनों ध्रुवों पर भारत को विजयी बनाना इस मिशन का मुख्य उद्देश्य है। चंद्रयान-3 में उपग्रह, रोवर, उपग्रह नियंत्रण केंद्र और पृथ्वी से चंद्रमा के बीच संचार प्रणाली शामिल हैं।
Chandrayaan-3 mission का लक्ष्य सॉफ्ट लैंडिंग करना है। यह मिशन चांद के क्रेटर्स, पहाड़ों और अन्य रहस्यमय स्थानों की जांच करके चांद के बारे में अधिक जानकारी जुटाना चाहता है। भारत इससे अंतरिक्ष मिशनों में और अधिक प्रगति कर सकता है और वैश्विक मान्यता प्राप्त कर सकता है।