chandrayaan-3 images: रूस का लूना-25 हुआ क्रैश और दुनिया को chandrayaan-3 के सफल होने की उम्मीद

Shashikant Singh
7 Min Read

chandrayaan-3 images :

23 अगस्त को chandrayaan-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड होने वाला है लेकिन एक बुरी खबर यह भी है कि साथ में ही रूस द्वारा भेजा गया लूना -25 मिशन लैंडिंग के दौरान क्रैश हो गया इस खबर से अब सारी उम्मीदें भारत के चंद्रयान 3 मिशन पर टिक गई हैं |अभी तक कोई भी एजेंसी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना स्पेसशिप उतारने में सफल नहीं हुआ है | जिस तरह chandrayaan-2 क्रैश हुआ था उसी तरह  लूना -25 जो लैंडिंग के दौरान क्रैश हो हो गई | 

 भारत के वैज्ञानिकों ने बताया है कि उनका चंद्रयान 3 मिशन 23 अगस्त को शाम को 6:04 पर चंद्रमा की  धरती पर लैंड करेगा |
रसिया में 50 साल बाद चंद्रमा के लिए  के लिए कोई मिशन बनाया था |अब यह मिशन  क्रैश हो चुका है |
रविवार सुबह, रूस की सरकारी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने बताया कि शनिवार दोपहर 14.57 बजे (GMT 11.57) के आसपास लूना-25 से उसका संपर्क टूट गया था। रूसी समय के अनुसार, ये स्पेसक्राफ्ट 11 अगस्त को चला गया था और सोमवार को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला था।
चीन और अमेरिका पहले भी चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई भी देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर नहीं उतारा है।

1.विक्रम लैंडर ने भेजी शानदार तस्वीरें

लैंडिंग से पहले विक्रम लैंडर ने चंद्रमा की एक नई तस्वीर खींची है। इसरो ने बताया कि ‘लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरे’ ने लगभग 70 किलोमीटर की ऊंचाई से चित्र बनाए हैं।

indianeverest.com

 

indianeverest.com

भारत का मून चंद्रयान-3 मिशन धीरे-धीरे सफलतापूर्वक अपने लक्ष्य के करीब आ रहा है। भारत सहित पूरी दुनिया की दृष्टि चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर है, जिसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बताया कि 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे चंद्रयान-3 का ऐतिहासिक टचडाउन चंद्रमा के दक्षिणी छोर पर होगा। यह लैंडिंग सफल होने पर भारत विश्व में चौथा ऐसा देश बन जाएगा। जिसमें पहले से ही अमेरिका, रूस और चीन शामिल हैं। इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बुधवार को योजनाबद्ध लैंडिंग से सिर्फ दो घंटे पहले, चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर महत्वपूर्ण निर्णय लिया जाएगा।

2.चंद्रयान-3 से सबको उम्मीदें

रूस  में अपने मिशन की शुरुआत 11 अगस्त को मास्को में लांच कर के कर दी थी लेकिन लूना – 25 क्रैश होने के बाद  उम्मीदें खत्म हो चुकी हैं अब सारी उम्मीदें भारत के चंद्रयान-3 टिकी हुई है  | अगर भारत या करने में सफल होता है तो  भारत स्पेस एजेंसी  के इतिहास में एक नया कीर्तिमान बनाएगा |अभी तक कोई भी स्पेस एजेंसी ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपना रोवर लैंड नहीं किया है |और भारत को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के के बारे में विस्तृत रूप से जानने में सहायता मिलेगी जिससे केवल भारत का ही नहीं  बल्कि पूरे विश्व की स्पेस एजेंसी यों को रिसर्च करने में सहायता मिलेगी |

 

3.रूस के चांद पर जाने की कोशिश

1960 के दशक में अमेरिका और रसिया चंद्रमा पर पहले जाने के लिए एक दूसरे से लड़ा करते थे |रूस ने पृथ्वी की कक्षा में पहला सैटलाइट (1957 में स्पुतनिक-1) बनाया, 1961 में यूरी गागारिन ने पहली बार अंतरिक्ष में इंसान को भेजा, और मानवरहित मिशन को चांद पर उतारने का दावा किया। लेकिन अमेरिका ने अपोलो मिशन के माध्यम से चांद की सतह पर आदमी को पहली बार उतारा।भारत, रूस, अमेरिका, चीन, इसराइल और जापान जैसे देशों में निजी कंपनियां भी चांद पर मनुष्यों को ले जाने वाले कार्यक्रमों की योजना बना रहे हैं। 1972 के अंत में अमेरिका ने अपने मिशन अपोलो का समापन किया और अभी तक अमेरिका के अलावा दूसरा कोई भी चंद्रमा पर इंसान भेजने में कामयाब नहीं हो पाया है

4 : chandrayaan-3 क्यों है खास

अभी तक चंद्रमा पर रूस और अमेरिका ने ही अपनी आन भेजे हैं अभी तक चंद्रमा पर रूस और अमेरिका ने ही सफलतापूर्वक ज्ञान भेजे हैं लेकिन 2019 में चांद पर चाइना ने अपना यान भेजकर विश्व का तीसरा देश बन गया अगर भारत इस मिशन को करने में सफल होता है तो वह विश्व का चौथा देश बन जाएगा |जिससे भारत को चंद्रमा की भौगोलिक स्थिति को रिसर्च करने में सहायता प्राप्त होगी |

अंतरराष्ट्रीय अन्य स्पेस एजेंसियों को चंद्रयान 3 का कम बजट है, जो इसकी सबसे बड़ी कामयाबी है। समाचारों के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन में 615 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं। वहीं, भारत में कई फिल्मों का निर्माण करने में इससे अधिक धन खर्च होता है।

indianeverest.com

 

5 : चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना मुश्किल क्यों है

अब तक चांद पर किसी भी मिशन का लक्ष्य चांद के उत्तर या मध्य में लैंड करना था। यहां लैंडिंग करने के लिए सही जगह है और सूरज की पर्याप्त रोशनी मिलती है। लेकिन दक्षिणी ध्रुव चांद की जगह है जहां प्रकाश नहीं जा सकता। साथ ही, इस स्थान पर चांद की सतह गड्ढों से भरी हुई है और पथरीली है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर में एस्ट्रोफिज़िक्स और प्लेनटरी साइंस के प्रोफेसर जैक बर्न्स ने कहा, “यहां पहुंचने वाली सूरज की किरणें टेढ़ी होती हैं। दक्षिण में सूरज की रोशनी के कारण गड्ढों की परछाईं बहुत लंबी होती है, हालांकि चांद का अधिकांश हिस्सा अपेक्षाकृत समतल है। इसलिए यहां गड्ढों और ऊबड़ जमीन की पहचान करना बहुत मुश्किल है |
चांद पर, धरती की तरह, सैटलाइट सिग्नल नेटवर्क नहीं है। ऐसे में चांद पर यान उतारा जाता है, जो बहुत आम सिग्नल है। यही कारण है कि इसरो चंद्रयान-2 ऑर्बिटर को चंद्रयान-3 के लैंडर को उतारने के लिए उपयोग कर रहा है।
ताजा खबर और दुनिया भर की खबर जैसे राजनीति ,मनोरंजन, लाइफस्टाइल ,वेब स्टोरी , वेब सीरीज ,ज्योतिष और पर्सनल डेवलपमेंट , टेक्नोलॉजी बिजनेस से रिलेटेड न्यूज़ पाने के लिए हमारे चैनल पर विजिट करें | ज्यादा जानकारी के लिए हमारे न्यूज़ वेबसाइट http://indianeverest.com/ पर संपर्क करें |

Share This Article
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *