Chandrayaan-3 mission successful : चंद्रयान-3 ने बनाया इतिहास , चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर कामयाब लैंड‍िंग, भारत ने अंतरिक्ष में लहराया परचम

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Chandrayaan-3 mission successful : चंद्रयान-3 ने बनाया इतिहास , चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर कामयाब लैंड‍िंग, भारत ने अंतरिक्ष में लहराया परचम

अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने इतिहास रच दिया है |चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक लैंड कर चुका है इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे भारत और इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई का संदेश दिया |

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (ISRO) सहित पूरे देश में चंद्रमा पर ‘चंद्रयान-3’ की सफल और सुरक्षित सॉफ्ट-लैंडिंग के बाद उत्साह और उत्साह का वातावरण है। 2008 में इसरो ने पहला चंद्र मिशन शुरू किया था. जुलाई 2019 में इसरो ने दूसरा और अब तीसरा, चंद्रयान-3 नामक मिशन शुरू किया। आइए जानते हैं कि भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान-3 मिशन को किस उद्देश्य से पूरा किया है।

1 .चंद्रयान-3 का लक्ष्य

इसरो ने चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग से पहले मिशन का उद्देश्य बताया था। इसरो ने बताया कि ‘चंद्रयान-3’ ‘चंद्रयान-2’ का अनुवर्ती या सहवर्ती मिशन है। चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन करना इसका मूल उद्देश्य है। इसरो ने कहा कि भविष्य के इंटरप्लेनेटरी मिशनों में यह प्रक्रिया महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा, इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर घूमने की क्षमता का प्रदर्शन करना और इन-सीटू (यथास्थान) वैज्ञानिक प्रयोग करना है।

 

 

2.मानवता के लिए कितना लाभदायक है

2008 में भारत के पहले चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-1’ ने परिक्रमा करते हुए चंद्रमा पर पानी की उपस्थिति का सबसे पहला संकेत दिया। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का अंतरिक्ष यान  (Lunar Reconnaissance Orbiter) ने करीब 14 वर्षों से चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे कुछ बड़े क्रेटर्स (गड्ढों) में पानी की बर्फ (वाटर आइस) का पता लगाया है।

इसके अलावा, विभिन्न देशों के चंद्र मिशनों ने चंद्रमा से प्राप्त सामग्री का विश्लेषण किया है, जिसमें धातुओं, खनिजों और ऊर्जा की मौजूदगी की आशंका व्यक्त की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चंद्रमा पर मौजूद पानी, खनिजों और धातुओं तक आसानी से पहुँच सके तो यह भविष्य में मानवता के लिए बहुत फायदेमंद होगा।

 

 

3.चंद्रयान 3 जुलाई का अहम जानकारी

चंद्रमा की मौलिक संरचना क्या है, उसकी सतह का प्लाज्मा का घनत्व क्या है, उसकी थर्मल प्रॉपर्टीज (तापीय गुण) क्या हैं, वहाँ सतह के नीचे की हलचल (भूकंपीयता) कैसी होती है, और चंद्र परत या रीगोलिथ में क्या विशिष्ट है? चंद्रयान-3 इन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों को हल करेगा।

इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) और अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) प्रज्ञान रोवर के दो प्रमुख उपकरण हैं। एलआईबीएस चंद्र सतह पर कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, टाइटेनियम और आयरन जैसे रासायनिक तत्वों की खोज करेगा

 

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